Friday, July 30, 2010

sabko leke chal ra hun

माँ ने कहा था
सबको समेत क चलना आसन नहीं होता
बड़े बच्चे के प्यार में छोटा है रोता
और अगर छोटे को  दुलारा तो
बड़ा कभी भी पास नहीं होता,
पापा कहते रहे
खुशिया और फुर्सत साथ नहीं रहते
दो दिन की छुट्टियों में दो हाथ  नहीं रहते
मालकिन और नोट दोनों अब दूर हो गए हैं
मेरे हैं,  पर जैसे थोड़े मजबूर हो गए हैं
दोस्ती कहती रही
पांच छह सालो में तुमने झूट भी बोला
मेरे पीछे तुमने अपना मुह खोला
करोडो के घर में रखके मुझे कंगाल कर दिया
मेरी  बात मनवा के मुझे बेहाल क्र दिया

माँ पापा दोस्ती को किनारे कर
सबको खुश करने चला गया
पहले खून फिर  दिल और फिर कलेजा निकाल  रा हूँ..
खुश हूँ की सबको संभाल  रा हूँ
गिर गिर के संभल रा हूँ
 मैं सबको लेके चल रा हूँ